गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

टेलीविजन की भाषा पुस्तक का लोकार्पण


नई दिल्ली । टेलीविजन न्यूज चैनलों की भाषा पर सिलसिलेवार और गंभीर तरीके से लिखी गई, IBN7 में कार्यरत एसोसिएट एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर हरीश बर्णवाल की सद्यः प्रकाशित पुस्तक “टेलिविज़न की भाषा” एक मुकम्मल किताब का विमोचन टेलीविजन और प्रिंट जगत के 8 दिग्गज संपादकों ने किया। टेलीविजन के वरिष्ठ पत्रकार और IBN7 में कार्यरत एसोसिएट एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर हरीश चंद्र बर्णवाल की किताब “टेलीविजन की भाषा” का विमोचन समारोह 8 अक्टूबर को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर हिंदी के जाने माने कथाकार, पत्रकार, संपादक ‘ समाज कल्याण’ डा. रंजन जैदी ने कहा है कि टीवी न्यूज़ की भाषा पर डिबेट की ज़रुरत है. उन्होंने कहा कि भाषा और बोली में अंतर होता है.बोली प्राकृतिक नदी की तरह है जो बाढ़ में गाँव को बहा ले जाने की ताकत रखती है. लेकिन भाषा एक नहर की तरह है जो नियंत्रित सीमाओं में अपनी भूमिका तय करती है. टीवी की बोली ने आज बरसाती नालों का रूप ले लिया है.
उन्होंने हरीश बर्णवाल की पुस्तक को टीवी-पत्रिकारिता के छात्रों उससे जुड़े रिपोर्टरों और संपादकों के लिए अत्यंत लाभदायक पुस्तक करार दिया.

किताब का विमोचन टेलीविजन और प्रिंट जगत के संपादकों ने किया। किताब का विमोचन दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित किया गया। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि भारत सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला रहे, वहीं टेलीविजन की कई दिग्गज हस्तियां इसमें शरीक हुईं। इसमें IBN नेटवर्क के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई, आज तक के न्यूज डायरेक्टर कमर वहीद नकवी, इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर विनोद कापड़ी, IBN7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष, जी न्यूज के एडिटर सतीश के सिंह, न्यूज 24 के मैनेजिंग एडिटर अजित अंजुम न सिर्फ इसमें शामिल हुए बल्कि किताब को लेकर अपने विचार भी रखे। किताब पर हुई परिचर्चा में दैनिक भास्कर के ग्रुप एडिटर श्रवण गर्ग और पायनियर के संपादक और मैनेजिंग डायरेक्टर चंदन मित्रा भी शामिल हुए। किताब के बारे में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि इससे टेलीविजन के विद्यार्थियों को ही नहीं बल्कि पेशेवर पत्रकारों को भी फायदा होगा। शुक्ला ने कहा कि देश भर में मीडिया के संस्थान भले ही बढ़ गए हों, लेकिन उस तरह से किताबें अब तक नहीं लिखी जा सकी हैं।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक इस कमी की पूर्ति हरीश बर्णवाल की ये किताब करेगी। पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने किताब के बारे में बताया कि राजदीप के मुताबिक मीडिया से जुड़े हर शख्स को ये किताब जरूर पढ़नी चाहिए। आज तक के न्यूज डायरेक्टर कमर वाहिद नकवी ने भी कहा कि हरीश बर्णवाल ने इस किताब के माध्यम से जो ईमानदार कोशिश की है, उससे मीडिया में काम कर रहे लोगों को भरपूर फायदा होगा। IBN7 के मैनेजिंग एडिटर, जी न्यूज के संपादक ने किताब के बहाने टेलीविजन न्यूज चैनलों की भाषा पर सवाल भी उठाए और सार्थक बहस की शुरुआत करने की कोशिश की, वहीं इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर विनोद कापड़ी ने एस पी सिंह को याद करते हुए कहा कि टीवी की भाषा जितनी सरल हो, उतना बेहतर है। न्यूज 24 के मैनेजिंग एडिटर अजित अंजुम ने भी हरीश किताब को लेकर शुरू हुई इस परिचर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भाषा को लेकर टीवी पत्रकारों को बेहद संयमित होने की जरूरत है।
इस परिचर्चा में टीवी इंडस्ट्री के अलावा प्रिंट के भी दिग्गज संपादकों ने हिस्सा लिया। सांसद और पायनियर के संपादक चंदन मित्रा ने किताब की तारीफ करते हुए कहा कि आज भाषा का स्वरूप जिस तरह से बिगड़ता जा रहा है… उसे बचाने में इस किताब से काफी मदद मिलेगी। मित्रा ने कहा कि जिस तरह से हम हिन्दी भाषा को छोड़कर दूसरी भाषाओं के शब्द लेते जा रहे हैं… उससे बचना चाहिए। विमोचन समारोह में बोलते हुए दैनिक भास्कर के ग्रुप एडिटर श्रवण गर्ग ने भी माना कि न्यूज चैनलों की भाषा में बेहद सुधार की जरूरत है। कार्यक्रम का सञ्चालन जाने-माने टीवी एंकर सईद अंसारी ने किया.
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